शाम की चाय
शाम की चाय
कप में थकी उंगलियाँ
यह चाय का जादू है जो मेरे ठंडे दिल को पिघला रहा है।
चेहरे पर पड़ती धूप
आँखों में डूबी उम्मीदें
यह चाय की महक है जो मेरी उम्मीदों को जगा रही है।
लोगों के ताने
जीवन का संघर्ष
यह चाय की मिठास है जो कड़वाहट को समेट रही है।
पाने की तमन्ना
खोने का डर
यह अदरक और इलायची का साथ है जो हौसलों को थाम रहा है।
पानी का साथ
दूध की उबाल
यही रिश्ता है हमारा, जो राधा का कृष्ण के साथ है।
इसलिए तो शाम की चाय सबके लिए खास है।।
रितु थापा