तो मेरे बनारस चले आना…
चाय दिखे अगर
तो लंका फूटपाथ याद कर लेना
सुकून चाहिए गर
तो गंगा किनारे चले आना
नौका विहार बोलूं
तो मल्लाह समझ लेना
चांदनी रात में खोना हो
तो अस्सी घाट पर आ जाना
रेडियो की गुनगुनाहट याद आए
तो रेड एफ एम लगा लेना
विद्या को महसूस करना चाहो
तो बीएचयू की गलियों में सैर कर लेना
प्यासे हो अगर तो
पहलवान की लस्सी की चुस्की ले लेना
मंदिरों की घंटियों की गूंज से
दुर्गाकुंड की खूबसूरती जान लेना
भूख से बैचेन हो जाओ
तो कचौड़ी गली चले जाना
मलाइयो पान लौंगलत्ता चखना हो
तो गोदौलिया घूम आना
कैंट याद आए तो
शिवगंगा गोंदिया एक्सप्रेस की भीड़ भांप लेना
और महादेव याद आए तो
ज्ञानवापी जा के मत्था टेक लेना
जीवन और मृत्यु का संगम देखना हो
जाके हरिश्चंद्र मणिकर्णिका के दर्शन कर आना
अदभुत अद्वितीय नजारों को साक्षात देखना हो
तो मेरे बनारस चले आना
तो मेरे बनारस चले आना
सृष्टि